Hidden Gems of Himachal: हिमाचल प्रदेश के रोमांचकारी और प्राकृतिक सौंदर्य का छिपा खजाना है काशापाट और बेलनू टिब्बा

Himalya Expert :

काशापाट गांव व बेलनू टिब्बा (यमलोक, यमपुरी)

काशापाट हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के दो गाँव काशा और पाट है l यह दुनिया की चकाचौँध से दूर अनछुई,शांत व सुन्दर घाटी है l यहाँ के लोग पहाड़ी पारम्परिक शैली के अनुसार रहते है l इनका निश्छल स्वभाव आपका दिल जीत लेगा,और यहाँ के सुन्दर दृश्य आपका मन मोह लेंगे l

काशापाट पहुँचने के लिए आपको शिमला से बस या कार से रामपुर आना होगा l रामपुर से लोकल सवारी गाड़ी हमें काशापाट पहुँचा देती है l शिमला से काशापाट की दूरी 185km है,शिमला से रामपुर आते हुए रामपुर से पीछे 6km नोगली स्टेशन पड़ता है l नोगली पुल से दाये link road काशापाट जाती है l अंत की 14 km सड़क कच्ची है, यह सड़क कहीं-कहीं विशाल चट्टानों के बीच से निकाली गई है l जब हमारी गाड़ी इस सड़क से गुजरती है l तब रोमांच की अधिकता की वजह से पूरे बदन में सिहरन सी होती है l एक ओर विशाल पहाड़,दूसरी ओर गहरी खाई है l

काशा गाँव के ठीक आगे एक विशाल हिमपर्वत है l इसे बिझोल कण्डा कहा जाता है l यह इतना विशाल है कि,गाँव से दूर-दूर तक दिखता है l काशापाट का पूरा इलाका दारण घाटी वाइल्ड लाइफ सेंचूरी में आता है l इसी सेंचूरी में दुनिया के खूबसूरत पक्षीयो में से एक जुजुराना (western tragopan) का प्राकृतिक आवास है l यह हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी भी है l आप इसे सराहन बुशैहर के चिड़ियाघर में देख सकते है l काशा गाँव के ऊपर एक खूबसूरत बुग्याल भी है ओर विशाल जंगल भी है l गाँव के ठीक बाएं एक नाला है,

खटड़ खड़ :-

बहुत पहले गाँव के पास इस नाले में बादल फटा था,तब पानी ने 500मीटर नाले में,एक विशाल चट्टान पर कई छोटे झरने व कुंड बना दिये थे l अब जब हम यह दृश्य देखते है तो,नजारा मनमोहक दिखता है l यहाँ आज भी लोग इस नाले में पनचक्की बनाकर अपना अनाज पीसते है l “खट्टल खड” काशापाट गाँव का मुख्य आकर्षण है l वैसे तो काशापाट में और भी खूबसूरत जगह है, लेकिन खट्टल खड जैसी जगह कम देखी जा सकती है

यह और जगह से अलग इसलिए है, कि आपको यहाँ एक साथ कई छोटे – बड़े झरने और ताल दिखेंगे l काशा गाँव के एक तरफ बहने वाला यह पानी का धारा 500 मीटर दायरे में मजबूत चट्टान पर विभिन्न आकृति के कुंड, ताल, झरने बनाता है l कुछ ताल तो 10 मीटर तक गहरे है, स्थानीय लोगो का मानना है, कि कुछ ताल अथाह गहरे है
अभी सर्दियों के मौसम में यहाँ पानी कम था, बाकी मौसम ज्यादा पानी होने से यहाँ झरने,ताल और भी बड़े व खूबसूरत हो जाते है यहाँ लगभग 30 ताल और 20 झरने देखने को मिलते है

पाट गाँव में देवता श्री लक्ष्मी नारायण जी का,पहाड़ी शैली में बना सुन्दर मंदिर भी है l

काशा गाँव से जंगलो के बीच से होती हुई ऊपर टॉप,नमचिया टॉप तक एक पगडंडी जाती है l काशा गाँव से नमचिया टॉप पहुँचने के लिए 9 km ट्रेक करना पड़ता है l यहाँ के स्थानीय लोग गर्मियों में इसी रास्ते से अपने मवेशी के साथ,ऊपर बुग्यालो में प्रवास काल के लिए जाते है l यहाँ के लोगो की आजीविका पशुपालन व खेती है l सर्दियों में यहाँ जब बर्फ पडती है तब इन पशुओ को दोगरी में रखा जाता है, दोगरी मतलब पशुघर l

नमचिया टॉप ट्रेक :-

नमचिया टॉप की ऊँचाई समुन्द्रतल से लगभग 14580 फीट है l यह इतना विशाल है की यहाँ से रोड़ू वैली, शांग्ला वैली, बशल वैली और माँ भगवती श्राई कोटि जी के मंदिर के दर्शन होते है l भगवती श्री श्राई कोटी माता के दर्शन की भी बहुत मान्यता है l श्राई कोटि माता के मंदिर में पति पत्नी का एक साथ दर्शन वर्जित है लिए

बेल्नु टिब्बा (यमलोक, यमपुरी )

Virgin peak बेलुनू टिब्बा (यमपुरी,यमलोक,यमद्वार) यह शिवलिंग आकार का विशाल पर्वत है
पुराने इतिहास के अनुसार, काशापाट गांव और यामपुरी का संबंध ऋग्वेद के काल से है। ऋग्वेद में काशापाट को कपिस्थल के नाम से उल्लेख किया गया है, जो बंदरों का निवास स्थान था। यहां के लोग वानर जाति के माने जाते थे, जिनमें से एक थे भगवान हनुमान, जिनका जन्म यहीं हुआ था।

यामपुरी को यमलोक का दूसरा नाम माना जाता है, जहां मृत्यु के बाद आत्माओं का न्याय होता है। यहां यमराज और उनके दूत आत्माओं के कर्मों का हिसाब करते हैं, और उन्हें उचित फल देते हैं। यामपुरी का वास्तविक स्थान अज्ञात है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि यह काशापाट गांव के पास ही है।

काशापाट गांव में एक गुफा है, जिसे यमपुरी की गुफा कहा जाता है। इस गुफा में एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें यमराज की मूर्ति है। इस मंदिर को यामपुरी का द्वार माना जाता है, जहां से आत्माओं को यमलोक की यात्रा करनी होती है।

काशापाट गांव का इतिहास बहुत ही रोमांचक और रहस्यमय है। यहां की कुछ परंपराएं और कथाएं आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं। यहां के लोग अपनी संस्कृति और विरासत को गर्व से निभाते हैं।

इस पर आज तक कोई चढ़ नही पाया l स्थानीय लोग इसे पाप-पुण्य का दरबार कहते है, यहाँ मान्यता है कि, मरने के बाद इंसान अपने पाप-पुण्य का हिसाब करने पहले यहीं जाता है l फुहाल (चरवाहे ) तो यह भी कहते है कि रात को यहां दीये क़ी रोशनी व ढोल नगाले क़ी मधुर आवाज़ भी सुनाई देती है इसलिए इसे यमपुरी भी कहा जाता है
क्रमशः

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